शोहरत पाकर भी ग़ुमनाम हैं हम,
गैरों में नाम कमाके अपनो के बीच बदनाम हैं हम।
चाहे रोते हो तकिये में सिर छुपाकर,
सबके सामने नकली हंसी खूब बिखेरते है हम।।
अपनी जिद में डूबें है...रमें है हम,
खोई खुशियों को हर हाल में पाने को आमादा हैं हम।
अब कोई तारीफ करे या रुसवा कर जाये,
अपनी पहचान के लिए बेकरार हैं हम।।
Abhilasha Ji, Aapne toh kammal kar diya.
ReplyDeleteHumne toh socha hi nahi tha ki aap itna accha likhte hain.
thnx ravi jee...बस कोशिश है...हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया!
ReplyDeletevery nice...sohrat ki kimat kuch kuch keh rahi hai
ReplyDeleteअब कोई तारीफ करे या रुसवा कर जाये,
ReplyDeleteअपनी पहचान के लिए बेकरार हैं हम।।
कोशिशें कामयाब होती हैं...