Monday, January 10, 2011

शोहरत की क़ीमत....

शोहरत पाकर भी ग़ुमनाम हैं हम,
गैरों में नाम कमाके अपनो के बीच बदनाम हैं हम।
चाहे रोते हो तकिये में सिर छुपाकर,
सबके सामने नकली हंसी खूब बिखेरते है हम।।


 अपनी जिद में डूबें है...रमें है हम,
 खोई खुशियों को हर हाल में पाने को आमादा हैं हम।
 अब कोई तारीफ करे या रुसवा कर जाये,
अपनी पहचान के लिए बेकरार हैं हम।। 

4 comments:

  1. Abhilasha Ji, Aapne toh kammal kar diya.
    Humne toh socha hi nahi tha ki aap itna accha likhte hain.

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  2. thnx ravi jee...बस कोशिश है...हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया!

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  3. very nice...sohrat ki kimat kuch kuch keh rahi hai

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  4. अब कोई तारीफ करे या रुसवा कर जाये,
    अपनी पहचान के लिए बेकरार हैं हम।।

    कोशिशें कामयाब होती हैं...

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